Brief Notes from Yajyen – June 01, 2020

Swamiji Performing Anushthaan of Four Vedas यज्ञ में आशीर्वाद मिलना आजकल असंभव है। जो भी मिल रहे हैं वो अनमोल हैं।  वेदों में भगवान ने कोई भी विषय नहीं छोड़ा है।  इन मंत्रों में औषधियों का ज्ञान है।  वेदों में तिनके से लगाकर ब्रह्म तक वर्णन किया है।  पंचतन्‍मात्राणि...

जीव ईश्वर से अपने कल्याण की प्रार्थना करता है

स्वामी राम स्वरूप जी, योगाचार्य, वेद मंदिर (योल) (www.vedmandir.com) ओ३म् अरं दासो न मीळ्हुषे कराण्यहं देवाय भूर्णयेऽनागाः।  अचेतयदचितो देवो अर्यो गृत्सं राये कवितरो जुनाति ॥ (ऋग्वेद ७/८६/७) (अहं) मैं (अनागाः) निष्पाप होकर (देवाय) परमात्मदेव के लिए (दासः न) दास...

मनुष्य पाप कर्म से दूर रहे

स्वामी राम स्वरूप जी, योगाचार्य, वेद मंदिर (योल) (www.vedmandir.com) ओ३म् न स स्वो दक्षो वरुण ध्रुति: सा सुरा मन्युर्विभीदको अचित्तिः। अस्ति ज्यायान्कनीयस उपारे स्वप्नश्चनेदनृतस्य प्रयोता ॥ (ऋग्वेद  ७/८६/६) (वरुण) हे परमेश्वर (स्वः)  अपने स्वभाव से जो...

Brief Notes from Yajyen – May 11, 2020 (in Hindi)

ईश्वर का ज्ञान अनंत है और अद्भुत है। देखो कि यह वेद भी मनुष्य के शरीर में प्रकट होते हैं, ईश्वर भी इसी शरीर में प्रकट होता है। वेद भी निराकार हैं, ईश्वर भी निराकार है।  चारों वेदों का मुख्य लक्ष्य ईश्वर प्राप्ति है। मतलब तिनके से ब्रह्म तक का ज्ञान और अनंत ज्ञान...

पापों को नष्ट करने के लिए प्रार्थना

स्वामी राम स्वरूप जी, योगाचार्य, वेद मंदिर (योल) (www.vedmandir.com) ओ३म् अव द्रुग्धानि पित्र्या सृजा नोऽव या वयं चकृमा तनूभि:। अव राजन्पशुतृपं न तायुं सृजा वत्सं न दाम्नो वसिष्ठम्॥ (ऋग्वेद ७/८६/५) (राजन्) हे परमेश्वर आप (द्रुग्धानि, पित्र्या) माता-पिता की प्रकृति से...