सभी संगत को गुरू जी का प्यार भरा आशीर्वाद।

कृपया नीचे दी गई सूचना ध्यान से पढ़ें और उस पर पूरी तरह से अमल करें।

इस साल जो वार्षिक यज्ञ अनुष्ठान (14 April to 30 June) हो रहा है उसमें गुरू जी चाहते हैं कि उनका करीब करीब पूरा समय केवल वेदों को दिया जाए और संगत पूरी तरह वेद मंत्रों में, भजनों में और ज्ञान में डूब जाएं। उनकी यह भी कामना है कि चारों वेदों का संपूर्ण अनुष्ठान पूरा किया जाए। इसके साथ गुरु जी की सेहत का ध्यान रखना भी बहुत जरूरी है जिसके लिए उनका समय पर खाना पीना, फिजियोथैरेपी और ढेर सारा आराम अत्यंत आवश्यक है। यह सब तभी संभव है जब हम निम्नलिखित बातों का और इनसे अधिक भी चीज़ों का ध्यान रखेंगे।

  1. अनुष्ठान के दैनिक यज्ञ के पश्चात् गुरू जी को शीघ्र ही अपने कक्ष में जाने दें क्योंकि जब गुरू जी यज्ञ समाप्त करते हैं तब वे थक गए होते हैं और आराम चाहते हैं। हम गुरू जी से बात करने या कोई निवेदन करने उनके निकट न जाएं और ना ही बच्चों को जाने दें। दूर से ही गुरू जी को प्रणाम करें। आप सब तो जानते ही हैं कि गुरू जी का आशीर्वाद सदैव अपनी संगत के साथ है।
  2. अनुष्ठान के दौरान संगत केवल वे संस्कार करवाएं जो टल नही सकते, जैसे कि अन्न ग्रहण संस्कार। अन्य संस्कार जैसे कि वेदारम्भ संस्कार, कर्णभेद संस्कार, मुंडन संस्कार, इत्यादि का अनुष्ठान के चलते निवेदन ना करें। और ना ही आसान, प्राणायाम इत्यादि सीखाने का या दीक्षा देने का निवेदन करें।
  3. अनुष्ठान के चलते कृपया गुरू जी को वेद मंदिर से बाहर निकलने का निवेदन कदापि ना करें, जैसे कि अपने घरों में यज्ञ करवाने हेतु, इत्यादि।
  4. हम गुरू जी को ऐसी बातें जैसे कि नई गाड़ी की चाबी, प्रसाद, बीज, इत्यादि को उनका हाथ लगवाना, इनके लिए निवेदन ना करें। एक मुक्त आत्मा की शक्तियां तो तीनों लोकों में बिना शरीर के ही काम करती हैं और शिष्यों का उद्धार करती हैं।
  5. गुरू जी का अत्यंत अमूल्य समय जो वेदों में लग सकता है और लगना चाहिए, उसे संगत जन्मदिन, सालगिरह, परीक्षा, नौकरी, नया वाहन, नया घर, आत्मा की शांति, पुण्यतिथि, बीमारी, किसी के पूरे किए हुए अनुष्ठान, इत्यादि इत्यादि के यज्ञ बुलवाने में ना लगवाएं। यहां तक कि गुरूजी की सेहत के लिए भी यज्ञ उनसे बुलवाने की आवश्यकता नहीं है। ये सब आप केवल गुरू का ध्यान कर के अपने मन में धारण करें और पूर्ण लाभ पाएं। महाराज जी ने हमें ज्ञान दिया है कि कोई भी संसारी या निजी बातें वेद सुनने से ज्यादा जरूरी कदापि नहीं है।
  6. हम हिसाब लगाएं – अगर आम तौर पर हर रोज़ गुरू जी के करीब 45 से 60 मिनट भी संगत की यज्ञ की सूची पढ़ने और उनके गुण गान करने में लग जाते हैं, तो ढाई महीनों के अनुष्ठान के दौरान गुरू जी के 59 से 78 घंटे इस कार्य में लगेंगे! और आप को जानकर हैरानी होगी कि 75 घंटों में तो गुरू जी चारों वेदों के सारे मंत्रों की आहुतियां हम से डलवा कर हमें महा पुण्य की प्राप्ति करा सकते हैं। तो हम सोचें कि अगर हम गुरूजी का इतना समय बचाते हैं तो वे कितने ही वेद मंत्रों की व्याख्या कर के हमारा और संसार का कल्याण कर सकते हैं। और वे अधिक से अधिक तपस्या एवं आराम भी कर सकते हैं जिसका पुण्य भी सेवकों को प्राप्त होता है।
  7. यदि कोई शिष्य गुरू जी या ईश्वर के प्रति अपने भाव व्यक्त करना चाहे तो वे यह शुभ कर्म यज्ञ से पहले या यज्ञ के पश्चात करें जिस से गुरू जी के मुख से वेद बिना रुकावट के बहते रहें और वे अपनी मौज में रहें।
  8. गुरू जी को मेसेज या कॉल केवल अत्यंत आवश्यक / इमरजेंसी होने पर ही करें। उनके जन्मदिन, इत्यादि की बधाई के लिए भी केवल मन में उनका ध्यान करें और यज्ञ अथवा हवन करें।
  9. गुरू जी को छोटी छोटी बातों से अथवा आपसी शिकायतों से परेशान ना करें। संगत आपस में मिल जुल कर प्रेम से सेवा की जिम्मेवारी खुद पूरी करें और वेद मंदिर में शांति बनाए रखें। याद रखें कि ईश्वर और गुरू सब जानते हैं।
  10. गुरू जी को हम दर्शन देने पर या बाहर आकर यज्ञ करने पर मजबूर ना करें। ऐसी कामना हम मन में भी न रखें। बाहर आकर यज्ञ करने में गुरू जी को बहुत ज्यादा थकावट होती है। गुरू जी ने कई बार हमें ज्ञान दिया है कि वेद मंदिर के गेट से अंदर आते ही हमें पूरा पुण्य प्राप्त होता है, बस हम जी जान से सेवा करें और गुरू जी को पूरा आराम दें, उनकी वृत्ति को वेदों से तनिक भी न भटकाएं।
  11. इस वार्षिक अनुष्ठान के दौरान संगत कृपया गुरू जी से मिलने का अनुरोध बिल्कुल न करें जिससे की गुरू जी दैनिक दो से तीन यज्ञ कर पाएं, कुछ विश्राम कर सके और उन्हें कोई थकावट न हो। याद रहें, उनका समय पर भोजन, आराम और फिजियोथैरेपी करना अत्यंत आवश्यक है और हम सब भली भांति जानते हैं कि संगत के लिए अक्सर गुरू जी इन चीजों को कुर्बान कर के अपनी सेहत खराब कर लेते हैं। जब गुरू की तपस्या और आराम भंग होगा तब शिष्यों को सुख शांति कैसे प्राप्त होगी?

सभी संगत से विनम्र निवेदन है की वे उपरोक्त बातों का चिंतन करें और इनका पालन करें। गुरू जी तो केवल आप सब की तन मन धन की निस्वार्थ सेवा से ही प्रसन्न रहते हैं और आप सब पर अपने अमूल्य आशीर्वाद बरसाते हैं।

धन्यवाद 🙏🏻🙏🏻🙏🏻

सभी संगत को गुरू जी का प्यार भरा आशीर्वाद