मनुष्य पाप कर्म से दूर रहे

स्वामी राम स्वरूप जी, योगाचार्य, वेद मंदिर (योल) (www.vedmandir.com) ओ३म् न स स्वो दक्षो वरुण ध्रुति: सा सुरा मन्युर्विभीदको अचित्तिः। अस्ति ज्यायान्कनीयस उपारे स्वप्नश्चनेदनृतस्य प्रयोता ॥ (ऋग्वेद  ७/८६/६) (वरुण) हे परमेश्वर (स्वः)  अपने स्वभाव से जो...

पापों को नष्ट करने के लिए प्रार्थना

स्वामी राम स्वरूप जी, योगाचार्य, वेद मंदिर (योल) (www.vedmandir.com) ओ३म् अव द्रुग्धानि पित्र्या सृजा नोऽव या वयं चकृमा तनूभि:। अव राजन्पशुतृपं न तायुं सृजा वत्सं न दाम्नो वसिष्ठम्॥ (ऋग्वेद ७/८६/५) (राजन्) हे परमेश्वर आप (द्रुग्धानि, पित्र्या) माता-पिता की प्रकृति से...

Brief Notes from Yajyen – May 09, 2020 (In Hindi)

यह मैंने बहुत बार समझाया है और आपको पक्का समझ में आया होगा।  यह जो आप मंत्र उच्चारण कर रहे हो, यह बड़ा दुर्लभ है। यह ईश्वर की प्रार्थना स्तुति और उपासना है। से बस कभी कम कमजोर मत करना। कमजोर का मतलब है कि यह सोच कि हम क्या बोल रहे हैं? हम प्रतिदिन उपासना करें तो...

साधक को पाप-कर्मों से दूर रहना चाहिए

स्वामी राम स्वरूप जी, योगाचार्य, वेद मंदिर (योल) (www.vedmandir.com) ओ३म् किमाग आस वरुण ज्येष्ठं यत्स्तोतारं जिघांससि सखायम् । प्र तन्मे वोचो दूळभ स्वधावोऽव त्वानेना नमसा तुर इयाम् ॥ (ऋग्वेद ७/८६/४) (वरुण) हे परमात्मा (ज्येष्ठं) बड़े (आगः) पाप (किं) क्या (आस) हैं।...

ईश्वर की उपासना

स्वामी राम स्वरूप जी, योगाचार्य, वेद मंदिर (योल) (www.vedmandir.com) ओ३म् उत स्वया तन्वा३ सं वेद तत्कदान्वंतर्वरुणे भुवानि । किं मे हव्यमहृणानो जुषेत कदा मृळीकं सुमना अभि ख्यम् ॥ ऋग्वेद (७/८६/२) मंत्र में परमेश्वर की उपासना का प्रकार का वर्णन किया गया है। (उत) अथवा...