सृष्टि का प्रथम गुरु

स्वामी राम स्वरूप जी, योगाचार्य, वेद मंदिर (योल) (www.vedmandir.com) स एषः पूर्वेषामपि गुरुः कालेनानवच्छेदात् (पातञ्जल योग दर्शन १/२६) अर्थात् ईश्वर ही हमारे पूर्वजों का प्रथम गुरु है क्योंकि ईश्वर को मृत्यु नहीं आती। यहाँ यह विचारणीय है कि जब महाप्रलय में यह तीनों...

Brief Notes from Yajyen – July 18, 2020

आयुर्यज्ञेन कल्पतां (यजुर्वेद १८/२९)  आयु यज्ञ से बढ़ती है। यह basic principle (मौलिक सिद्धांत) है। आप लोगों के यज्ञ कर्म कभी मिथ्या नहीं  जाएंगे।  किया हुआ कर्म कभी मिथ्या नहीं जाएगा। शिष्यों को ध्यान में रखना चाहिए कि अभी गुरु का जीवन यज्ञ, शिक्षा, आशीर्वाद और ईश्वर...

Brief Notes from Yajyen – June 26, 2020

वेद अनंत ज्ञान के भंडार हैं।  कल किसी चीज का वर्णन था, आज किसी और चीज का वर्णन चल रहा है।   ओ३म् विश्वे देवास आ गत शृणुता म इमं हवम्। एदं बर्हिर्नि षीदत॥ (ऋग्वेद मंत्र २/४१/१३) जो विद्यार्थी विद्वान् से पढ़ते हैं, वे विद्वानों से यह कहे कि हे आचार्य! आप...

Brief Notes from Yajyen – May 09, 2020 (In Hindi)

यह मैंने बहुत बार समझाया है और आपको पक्का समझ में आया होगा।  यह जो आप मंत्र उच्चारण कर रहे हो, यह बड़ा दुर्लभ है। यह ईश्वर की प्रार्थना स्तुति और उपासना है। से बस कभी कम कमजोर मत करना। कमजोर का मतलब है कि यह सोच कि हम क्या बोल रहे हैं? हम प्रतिदिन उपासना करें तो...

यज्ञ सर्वश्रेष्ठ शुभ कर्म

स्वामी राम स्वरूप जी, योगाचार्य, वेद मंदिर (योल) (www.vedmandir.com) ऋग्वेद मंत्र १/२२/१५ का भाव है कि ईश्वर ने यह पृथिवी मनुष्यों को अनेक प्रकार के सुख देने के लिए बनाई है जिसमें दुःख देने वाले कांटे आदि भी न हों। और यह पृथिवी हमें बहुत से रत्नों को प्राप्त कराने...