ऋषियों की उत्तम अवस्था के दर्शन से कई जन्मों के पाप मिट जाते हैं। ओ३म् उतो पितृभ्यां प्रविदानु घोषं महो महद्भ्यामनयन्त शूषम्। उक्षा ह यत्र परि धानमक्तोरनु स्वं धाम जरितुर्ववक्ष॥ (ऋग्वेद मंत्र ३/७/६) हे मनुष्य! जैसे यह ब्रह्मचारी लोग अपने आचार्य की सेवा...
ओ३म् स रोचयज्जनुषा रोदसी उभे स मात्रोरभवत्पुत्र ईड्यः। हव्यवाळग्निरजरश्चनोहितो दूळभो विशामतिथिर्विभावसुः॥ (ऋग्वेद मंत्र ३/२/२) ईश्वर ने यहां यह ज्ञान दिया है कि ब्रह्मचर्य रखकर विद्या और सुशिक्षा प्राप्त करो। ब्रह्मचर्य पर बड़ा ध्यान रखो। जो पुस्तक मैंने...
वेदों के अर्थ कमाल के हैंI अच्छी शिक्षा प्राप्त करो और असत्य को नज़दीक न आने दोI असत्य पर क्रोध करोI ओ३म् ब्रह्मणस्पते सुयमस्य विश्वहा रायः स्याम रथ्यो३ वयस्वतः। वीरेषु वीराँ उप पृङ्धि नस्त्वं यदीशानो ब्रह्मणा वेषि मे हवम्॥ (ऋग्वेद मंत्र २/२४/१५) (ये...