Brief Notes from Yajyen – June 19, 2020

इस मंत्र का भाव है कि जैसे  जैसे पहले जमाने में  राजा चारों वेदों के ज्ञाता होते थे और प्रजा के लिए  प्रबंध भी करते थे और खुद भी उपदेश करते थेI उपनिषद में सच्ची कथा आती है कि एक ब्राह्मण के घर में अग्नि खत्म हो गईI जैसे वाल्मीकि रामायण  में आया कि न निरग्निः – ...