जीव ईश्वर से अपने कल्याण की प्रार्थना करता है

स्वामी राम स्वरूप जी, योगाचार्य, वेद मंदिर (योल) (www.vedmandir.com) ओ३म् अरं दासो न मीळ्हुषे कराण्यहं देवाय भूर्णयेऽनागाः।  अचेतयदचितो देवो अर्यो गृत्सं राये कवितरो जुनाति ॥ (ऋग्वेद ७/८६/७) (अहं) मैं (अनागाः) निष्पाप होकर (देवाय) परमात्मदेव के लिए (दासः न) दास...