जो भी यज्ञ करता है उसको ईश्वर सारे सुख देता है। इसलिए ईश्वर ने यह प्रार्थना बनाई है कि हे मनुष्य! मुझसे रोज प्रार्थना करो कि – हे प्रभु! हमें यज्ञ की प्रेरणा दे। भगवान ने कहा कि यज्ञ से श्रेष्ठ कर और कुछ भी नहीं है। हर चीज से, हर पल से, बड़े ऊंचे ऊंचे पद के...
स्वामी राम स्वरूप जी, योगाचार्य, वेद मंदिर (योल) सम्राळन्यः स्वराळन्य उच्यते वां महान्ताविन्द्रावरुणा महावसू। विश्वे देवास: परमे व्योमनि सं वामोजो वृषणा सं बलं दधुः॥ (ऋग्वेद ७/८२/२) अर्थ – मंत्र में भी परमात्मा ने राजधर्म का उपदेश किया है| राजपुरुष उन्हें कहते...