उद्धरेदात्मनाऽऽत्मानं नात्मानमवसादयेत्। आत्मैव ह्यात्मनो बन्धुरात्मैव रिपुरात्मनः।। (गीता श्लोक ६/५) इस प्रकार हे (पुरुष) शरीर में निवास करने वाली जीवात्मा (ते उद्यानं) तेरी उन्नति हो (न अवयानं) तेरी कभी अवनति ना हो (ते मनः तत्र मा गात्) तेरा मन वहाँ यमलोक में ना जाए...
मअन्नाद्भवन्ति भूतानि पर्जन्यादन्नसम्भव:। यज्ञाद्भवति पर्जन्यो यज्ञ: कर्मसमुद्भव:।। (गीता ३/१४) अर्थ – अन्न से सब प्राणी होते हैं अर्थात् अन्न से सब प्राणी उत्पन्न होते हैं, अन्न की उत्पत्ति मेघ से होती है, मेघ अर्थात् वर्षा यज्ञ से होती है। यज्ञ कर्म से उत्पन्न...
Van: So you want to say that Krishna is not God? Swami Ram Swarup: Those who consider him God, they go ahead and should go ahead but the learned of vedas know that Avtarwad is not promoted in vedas, so learned of vedas never accept avtarwad. Anonymous: Namastey...