SL: कोटि कोटि प्रणाम गुरुजी। गुरुजी आप का health अभी कैसा है? Guru ji thank you for clearing our doubts and imparting such great knowledge. गुरुजी मेरा एक doubt है कि …रामायण के काल में रावण के राज्य में राक्षस वेद मंत्रों का अध्ययन करते थे ..फिर उन्हें राक्षस कैसे कह सकते हैं? राक्षस का meaning क्या है? और रावण वेद का अध्ययन करते थे तो उनकी बुद्धि की शुद्धि होनी चाहिए। और अगर वेदों को पढ़ता है या सुनता है तो ईश्वर उनकी रक्षा करते हैं ..मगर ऐसा नहीं हुआ ..बल्कि रावण की बुद्धि की वजह से सीता अपहरण और अंत में श्री राम से मारा गया ..I am confused..Please clarify my doubts guruji. In case I am wrong in asking or not putting the question in the right way please forgive me guruji..Dhanyavad Guruji SL

Swami Ram Swarup: My blessings to you my daughter. मैं ठीक हूँ, बेटी। You are welcome please. राक्षस का अर्थ है जो मांस-भक्षण, मदिरा आदि का पान करते हैं, विषय-विकार करते हैं आदि। रावण के राज्य में कोई भी राक्षस वेदों का अध्ययन नहीं करता था। केवल रावण ने ऐसी आज्ञा दी हुई थी कि जब वो प्रात:काल उठे तो उस समय वेद मंत्रों का उच्चारण होते रहना चाहिए। हाँ! पुरी रावण नगरी में विभीषण ही वेदों का ज्ञाता था। दूसरा, यह है कि रावण केवल वेदों का उच्चारण ही सुनता था और वेदों का आदर भी करता था। लेकिन उसको वेदों का ज्ञान नहीं था। वेदों के उपदेश उसके आचरण में नहीं थे। नहीं तो वह ऋषियों के यज्ञ भंग ना करता। सीता को जबर्दस्ती उठाकर ना लाता etc. आज भी जो केवल वेद सुनते हैं लेकिन सुनकर वेद की शिक्षा को आचरण में नहीं लाते तो उनके जीवन में कोई सुधार नहीं आता।