Harish: Guru ji Parnam, As per VEDAS, whether cremation can be performed after sun set or same is performed before sun set.Is there any reference of Ved Mantra in this regard. Parnam Guru Ji.
Swami Ram Swarup: My heartiest blessings to you, my son.
Yajurveda mantra 40/15 preaches that the dead body must be burnt on pyre immediately after death.
Upendra: पितामह जी के चरणों में कोटि कोटि प्रणाम। स्वामीजी, यदि पिताजी की मृत्यु हो गयी है तो क्या वेदों के अनुसार माता जी बेटी का कन्या दान कर सकते है । स्वामीजी क्या इसपर वेद मंत्र का कोई प्रमाण है
आज समाज में लोग कहते है कि पति के मरने के बाद पत्नी अपनी बेटी का कन्यादान नहीं कर सकती। स्वामीजी मेरी शंका का समाधान करने की कृपा करें ।
Swami Ram Swarup: मेरा आपको हार्दिक आशीर्वाद बेटा। बेटा, पिता के स्वर्गवास होने पर कन्यादान भाई, बहन, माता कोई भी बुजुर्ग कर सकता है।
Rao: I intend to have sundara kanda parayaana at home as a private programme. Can I get a scholar for this from your institution.
Swami Ram Swarup: In our Ved Mandir Vedas, Shastra are only preached.
Anonymous: Please advise Vaidik names for a new born boy.
Swami Ram Swarup: I paste few names:-
Names for baby boy
i). “Aditya” which means indestructible/light.
ii). “Puneesh” which means pure.
iii). “Ketav” which means an enlightened learned person.
You may select one name, please.
Guruprasad: Crores or pranams maharajji. Is DRAVIDIAN sanskrit word ji. Can you let know the meaning of Dravid please. Always at your lotus feet. Your son.
Swami Ram Swarup: My heartiest blessings to you, my son.
बेटा, द्रविड़ दक्षिण भारत का एक प्रदेश है। South Indian sub caste of Brahmins is also called Dravid.
However, in Vedas this word is not mentioned.
Anupama: प्रणाम गुरु महाराज जी। आपकी अच्छी सेहत और लम्बी उमर की कामना दिन-रात ईश्वर से हमेशा प्रार्थना के रूप में हम सब परिवार सहित करते हैं। आपकी कृपा हमेशा हम सब पर बनी रहे। ईश्वर से और आपसे यह भी प्रार्थना है कि हम अपने आचार्य को हमेशा प्रसन्न रखें।
मेरे एक प्रश्न का उत्तर देने की विनती कर रही हूँ आपसे गुरुमहाराज जी। भगवत गीता के 1st श्लोक में, 5th page पर, यक्ष के प्रश्न के उत्तर देते हुए युधिष्ठिर कह रहे हैं कि धर्म का तत्त्व हृदय गुहा में निहित है और अत्यंत गूढ है। जहाँ तक मैं अपनी बुद्धि से समझने में समर्थ हूँ, मैनें यह समझा कि धर्म secretive है और इसको ह्रदय में धारण किया जाता है। मुझे कुछ समझ नहीं आया गुरुमहाराज जी धर्म secretive क्यों है? मुझ पे कृपया करके please समझाईये।
मेरे से लिखने में कोई गलती हो गयी हो कृपा करके क्षमा कर दीजिए।
आपकी शिष्या अनुपमा।
Swami Ram Swarup: My heartiest blessings to you all, बेटी।
धर्म का तत्व ह्रदय गुहा में निहित है का अर्थ है कि धर्म का तत्व ह्रदय में स्थित है। भाव है कि धर्म ह्रदय से धारण किया जाता है। इसका भी अर्थ है कि वेदानुसार कर्तव्य कर्म करने को धर्म कहते हैं। ह्रदय में वैदिक ज्ञान धारण करके जो वेदों में कर्तव्य कर्म करने को कहे हैं उसको हम ह्रदय में धारण करें और नित्य वैदिक कर्मो को ही जीवन में धारण करें अर्थात नित्य वैदिक कर्म ही करें।
गूढ का अर्थ secretive नहीं गहन-गम्भीर है। अर्थात कठिनाई से और अधिक पुरुषार्थ से विद्या को सुनकर धर्म का अर्थ समझ में आता है।
Suheal: Maharaj ji koti Pranaam in your feet. May kindly clarify what is the difference between the soul of a normal person and the soul of the person who has attained God realization as per vedas. What are the special powers granted to the soul of such living vidwaan by God which normal souls don’t possess. Pranaam.
Swami Ram Swarup: मेरा आपको हार्दिक आशीर्वाद बेटा। Attained God नहीं बेटा attained God की जगह लिखा करो realised God or attained salvation.
Difference between ordinary man and he who has realized God is that soul of ordinary man is tied in the bindings of karma whereas other soul is free from facing the result of karmas. God delegates all powers to liberated soul except to create universe.