अज्ञात: नमस्ते गुरूजी! मेरे घर में मेरे पिताजी नॉन-वेज खाते हैं और कभी कभी लेके भी आते है और शराब भी लेते हैं. मैंने बहुत मना किया पर कोई फ़ायदा नहीं हुआ. क्या मैं घर में हवन कर सकता हूँ?
स्वामी राम स्वरूप: बेटा याद रखो यजुर्वेद में कहा है की किया हुआ कर्म कभी व्यर्थ नहीं जाता इसलिए कर्म का विषय personal matter है. जो कैसा करेगा वैसा ही भरेगा. समस्त लंका में सब राक्षस रहते थे केवल एक विभीषण ही हवन करने वाले और वेदों पर आस्था रखने वाले थे. इस आधार पर आपका कर्म अलग है, आपके पिता का कर्म अलग है. इसलिए हवन ज़रूर करो, आपको हवन करने का पुण्य मिलेगा. आशीर्वाद बेटा, सुखी रहो.