स्वामी राम स्वरूप: क्षमा करें। आप सबके जवाब देने में देर हुई और भूल हो गयी।

अर्पित: स्वामी जी नमस्ते 🙏 मुझे आप के पास आ के ज्ञान लेना है। मैं 18 साल का हूँ। अभी मैं क्या करूँ? मम्मी-पापा तो कभी नहीं आने देंगे तब मैं क्या करूँ? प्लीझ बताइये।

स्वामी राम स्वरूप: बेटा आपका ध्यान ज्ञान लेने की ओर होने से मुझे बड़ी खुशी हुई लेकिन वेदों का ज्ञान ही कहता है की माता-पिता की सेवा करनी चाहिए और हमेंशा उनकी आज्ञा का पालन करना चाहिए। अत: यहाँ आने के लिए उनकी आज्ञा जरुरी है। इस बीच बेटा आप अपने मन में उठने वाले प्रश्न यहाँ पर करते रहो। उससे भी आपको बड़ा आनंद आएगा क्योंकि ज्ञान पाकर आनंद प्राप्त होता है, दु:ख दूर होते हैं। मेरा आपको बहुत-बहुत आशीर्वाद। लंबी आयु हो, सुखी रहो।

GG: नमस्ते 🙏 मेरा एक सवाल है। आपने बताया था की इस सृष्टि के आरम्भ में जिन भी लोगो का जन्म हुआ तो उनको जो फल मिला वह पुरानी सृष्टि के कर्मो का फल उन्हें मिला। तो please यह बताईये की ये सृष्टि जब सबसे पहली बार बनायी गई होगी तब लोगों को उस समय जो फल मिला या जन्म मिला (जैसे – अलग अलग योनि में मिला..कोई कुत्ता बना तो कोई कुछ और बना) तो ये सब किस हिसाब से मिला था उन लोगों को? क्योंकि जैसे की एक बार आपने बताया था की आरम्भ में पिछली सृष्टि के कर्मो के फल मिलते हैं। तो जब सबसे पहली बार सर्वशक्तिमान परमेश्वर के द्वारा मनुष्य को बनाया गया था तो उन्हें किस कर्मों के हिसाब से बनाया गया होगा? क्योंकि वो तो उनका सबसे पहला जन्म था। अब इसमें उनके कोई कर्म तो होंगे ही नहीं। कर्म का क्या फल रहा होगा वहाँ?

स्वामी राम स्वरूप: आशीर्वाद बेटी। बेटी ऐसे सवाल कई बार आते रहते हैं। आपको दो शब्द याद रखने चाहिए अनादि और अनंत। अंग्रेजी में इसे कहते हैं eternal और everlasting. अनादि का अर्थ है ऐसा तत्व जिसकी रचना की कभी शुरुआत ही नहीं हुई हो और अनंत का अर्थ है हमेशा रहने वाला, कभी ना नष्ट होने वाला। अत: ज्ञान बड़ा गंभीर है इसे समझने के लिए चारो वेदों के ज्ञाता गुरु की आवश्यकता होती है। आप ये समझिए की परमेश्वर, प्रकृति, जीवात्मा और ये सृष्टि आदि, अनादि हैं, अनंत हैं, ओर और भी कई तत्त्व हैं जो अनादि और अनंत हैं। इसलिए मनुष्य कब उत्पन्न हुआ और सृष्टि की रचना कब हुई इत्यादि अनादि और अनंत होने के कारण इनकी date of birth कह नहीं सकते। जैसे मानव शरीर जो की विनाशवान है, चिता पर चढ़ जाता है और जलकर नष्ट हो जाता है, ऐसे शरीरों की date of birth और date of death तो पता है परन्तु सृष्टि रचना की date of birth नहीं पता क्योंकि है वो अविनाशी तत्व है। इसलियए मनुष्य पहली बार कब जन्म लेता है इसका कोई पता नहीं क्योंकि नाशवान मनुष्य (शरीर) के अन्दर रहनेवाली चेतन जीवात्मा अविनाशी तत्त्व है, अत: इसकी date of birth नहीं पता।

Anonymous: Hello,

As a Hindu, can it be possible to change religion and convert to Islam?

Will Hindu Gods punish me?

What can I do?

Swami Ram Swarup: Conversion is not permitted in any religion. It is one’s own discretion however, God punishes those who do not do true worship as per Vedas.

Manish: What is meant by vrittishunya?

Swami Ram Swarup: Vrittishunya means all chitt vrittis have been stopped and a yogi has realised God.

Sandip: Can the wife offer pindo to Gaya?

Swami Ram Swarup: In fact according to the Vedic culture pind daan kriya is not allowed either by men or women. in this regards i am pasting my  article……………

SHRADH

At the time of death, the soul comes out of the body and when a person is dead, his body is burnt on pyre. When soul resides in human body, person uses his mouth to eat, ear to listen, eye to see, hand to work, legs to move etc. Now the body has been burnt and the soul remains alone. Alone soul can do nothing but remains in the stage of Sushupt i.e., like in coma. Then after thirteen days, the soul takes rebirth. So how the dead person would eat the food which is made for him during Shradh. So Shradh is not mentioned in Vedas. Vedic meaning of Shradh is to serve the alive parents and elders by providing them with food, bedding and necessary goods etc., faithfully and lovingly.

अर्पित: नमस्ते आचार्य जी। मैं दुनिया को अच्छा बनाना चाहता हूँ। जब मैं इंसानों के द्वारा जानवरों पे अत्याचार देखता हूँ तो मुझे उन पर बहुत दया आती है और ऐसा लगता है कि उनके साथ बहुत अन्याय हो रहा है। उनकी जिंदगी पिंजरे से शुरू और किसीकी plate में जाकर ख़त्म हो जाती है। और जो लोग हिंदू-मुस्लिम के नाम पर मारने पे आ जाते हैं उनको ये क्यों नहीं समझ आता की हम सब इंसान ही हैं, क्यों नहीं हम सब साथ मिल कर रह सकतें? क्यों नहीं इंसान और जानवर एक साथ मिलकर नहीं रह सकते?गाय, मुर्गी, भैंस इत्यादि बहुत ज्यादा अन्याय सह रहें हैं। मुझ से घर पे शांति से नहीं बैठा जाता। जब मैं सोचता हूँ कि इस समय वो बेचारे वैसी जिंदगी जी रे हैं और मैं जब उनके नजरिए से दुनिया को देखता हूँ तो मुझे जिंदगी एक श्राप के रूप में दीखाई देती है और इस स्कूल की पढ़ाई का क्या फायदा जब ये सब ही होना (प्रदूषण, जानवरों पर कोई दया नहीं) है। सब सिर्फ अपने फायदे के लिए सोचते हैं। मुझे सबके लिए कुछ करना है, मुझसे अपने फायदे के बारे में ही नहीं सिर्फ सोचा जाता, मैं सबको एक करना चाहता हूँ। क्यों सारे देश एक दूसरे से शक्तिशाली बनना चाहते हैं? इससे क्या होगा, अगर India सबसे शक्तिशाली बन गया तो क्या होगा? हम सबको साथ लेके भी चल सकते हैं पर ऐसा नहीं होता। और मुझे दुनिया का सच जानना है और knowledge चाहिए पर youTube में जहाँ भी जाता हूँ कोई कुछ बोलता है कोई कुछ। सबसे विश्वास उठ गया है। मुझे आध्यात्मिक ज्ञान चाहिए पर ये नहीं पता कौन सही है। आपके पास एक hope दिखी इसलिए आया हूँ। अभी मैं 18 साल का हूँ। पहले मैं मानता था की भगवान नहीं होते पर मन में शक था की इतना systematic जो हो रहा है वो कैसे हो रहा है? फिर मेरे दोस्त ने शांतिदेवी जी की पुनर्जन्म की कहानी बताई। क्या आप बता सकते हैं की ऐसा कैसे और क्यों होता है? आज ऐसा मन हुआ की आपके पास जा के (हिमाचल) ज्ञान की बातें पुछूँ। Please आप reply किजिए।

स्वामी राम स्वरूप: नमस्ते बेटा, जीते रहो। आपका विचार बहुत उत्तम है परन्तु इसको पुरा करने के लिए तुम्हें वेद विद्या का अध्ययन और इसके पश्चात् मानव कल्याण के लिए आगे बढ़ना होगा जिसमें तुम्हें और भी कई साथी मिल जाएंगे इत्यादि। बेटा स्कूल-कॉलेज की पढ़ाई तो बहुत जरुरी है, तभी हम मनुष्यों के अन्दर आई हिंसा इत्यादि को नष्ट कर पाएंगे। विद्या विहिन नर पशु समान:। पहले अपनी इंद्रियों को साधना द्वारा वश में करो फिर विद्या प्राप्त करो। फिर अपने लक्ष्य की पूर्ति के लिए माता-पिता से आज्ञा लेकर आगे बढ़ो। दुनिया का सच हिंसा आदि बुरे कर्म त्यागकर ईश्वर की प्राप्ति करना, साथ साथ मिलकर रहना। बेटा माता-पिता की आज्ञा लेकर आप मेरे पास चले आओ। बहुत बहुत आशीर्वाद।