Swami Ram Swarupji conducted the Yajyen on November 08, 2022. Here is the brief summary of his preach:

ईश्वर ने गुरु को कार्य सौंपा है कि वे नर-नारी को मोक्ष के काबिल बनाए। जिससे की वे मोक्ष को प्राप्त करें।

गुरु – जो अपने ज्ञान से नर-नारी को अंधकार से प्रकाश की ओर ले जाए और उन्हें ब्रह्मलीन कराए। समाधीष्ठ पुरुष को गुरु कहतें हैं।

  • योगी में 16 कलायें होती हैं। ईश्वर में अनन्त कलायें होती हैं।
  • हम यज्ञ करते करते 16 कलायें अपने अंदर ले आएं।

आज के यज्ञ में भावार्थ –
स॒प्तास्या॑सन् परि॒धय॒स्त्रिः स॒प्त स॒मिधः॑ कृ॒ताः। दे॒वा यद्य॒ज्ञं॑ त॑न्वा॒नाऽअब॑ध्न॒न् पुरु॑षं प॒शुम् ॥ (यजुर्वेद मंत्र 31/15)

मुँह जुबानी यज्ञ को मानस यज्ञ कहतें हैं। इसे मन में बोलते हैं। जब अग्निहोत्र के सामान की कमी हो तब यह यज्ञ होता है। इस यज्ञ को विस्तृत करते हुए विद्वान लोग दर्शन करने योग्य परमात्मा को अपने अंदर लाते हैं। प्रकृति के तीन गुण, उससे बने महत्त, बुद्धि और अहंकार, पांच सूक्ष्म भूत, पांच स्थूल भूत, पांच ज्ञानेंद्रीय यह 21 तत्त्व इस यज्ञ में सामग्री एवं समीधा के रूप में कार्य करतें हैं। आहुति न डालकर भी ईश्वर की नज़र में हम आहुति डालते हैं।

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