Swami Ram Swarupji conducted the Yajyen on January 08, 2023. Here is the brief summary of his preach:

यं क्रन्द॑सी॒ऽ अव॑सा तस्तभा॒नेऽ अ॒भ्यैक्षे॑तां॒ मन॑सा॒ रेज॑माने। यत्राधि॒ सूर॒ऽ उदि॑तो वि॒भाति॒ कस्मै॑ दे॒वाय॑ ह॒विषा॑ विधेम। आपो॑ ह॒ यद् बृ॑ह॒तीर्यश्चि॒दापः॑ ॥ (यजुर्वेद मंत्र – 32/7)

हे नर-नारियों! आप यह समझो कि घूमती हुई पृथ्वी जो सबकी रक्षा करती है उसे परमेश्वर ने धारण किया है। यह पृथ्वी समुद्र, पहाड़, पशु-पक्षी, मनुष्य इत्यादि सबको धारण करती है। वह घूम रही है लेकिन उससे कोई गिरता या मरता नहीं। ईश्वर की शक्ति से पृथ्वी सबको धारण करके सबकी रक्षा करती है। पृथ्वी में पूर्व की ओर से सूर्य उदित होता है और पश्चिम में अस्त होता है। जो बड़े समुद्र, जलाशय, आकाश इत्यादि है उसे पृथ्वी विशेष रूप से प्रकाशित करती है। और जो ज्ञानीजन है वे ज्ञान-विज्ञान द्वारा मुख्य रूप से देखे की यह करामात अपने आप नहीं हो सकती। मनुष्य या पृथ्वी यह नहीं कर सकते। यह करामात करने वाला परमेश्वर है।

उस परमेश्वर को प्राप्त करने के लिए हम उनकी उपासना आहुति, योगाभ्यास इत्यादि द्वारा करें। परमेश्वर सृष्टि की रचना, पालना करता है और सबको सुख देता है। वह परमेश्वर योगाभ्यास इत्यादि के पश्चात् प्राप्त होता है।