Swami Ram Swarupji conducted the Yajyen on December 30, 2022. Here is the brief summary of his preach:

यस्मा॑ज्जा॒तं न पु॒रा किं च॒नैव य आ॑ब॒भूव॒ भुव॑नानि॒ विश्वा॑। प्र॒जाप॑तिः प्र॒जया॑ सꣳररा॒णस्त्रीणि॒ ज्योती॑षि सचते॒ स॒ षो॑ड॒शी ॥ (यजुर्वेद मंत्र – 32/5)

हे नर-नारियों! परमेश्वर से पहले कुछ भी उत्पन्न नहीं हुआ। प्रलय में जीता जागता एक ही चेतन तत्त्व परमेश्वर होता है। सभी जीवात्माएँ सुक्षुप्त अवस्था में होती है। प्रकृति भी अपनी निढाल अवस्था में होती है। सृष्टि रचना में चारों ओर कण-कण में जो व्याप्त है उसे परमेश्वर कहते हैं। सब लोकों में परमेश्वर ही विद्यमान है। मनुष्य सोलह कलाओं से पूर्ण है। किन्तु परमेश्वर में अनन्त कलायें हैं। वह सब प्रजा का पालन एवं रक्षण करने वाला है। सूर्य, चन्द्र, अग्नि इत्यादि सब को परमेश्वर अपनी ज्योति देता है। पर वह किसीसे ज्योति नहीं लेता। वह स्वयं प्रकाशक है। जो तपस्या करता है उसे 16 कलायें प्राप्त होती है।