Swami Ram Swarupji conducted the Yajyen on December 17, 2022. Here is the brief summary of his preach:
अ॒द्भ्यः सम्भृ॑तः पृथि॒व्यै रसा॑च्च वि॒श्वक॑र्मणः॒ सम॑वर्त्त॒ताग्रे॑। तस्य॒ त्वष्टा॑ वि॒दध॑द् रू॒पमे॑ति॒ तन्मर्त्य॑स्य देव॒त्वमा॒जान॒मग्रे॑ ॥ (यजुर्वेद मंत्र – 31/17)
जलो से, पृथ्वी से, सूर्य से, जीव्या के रस से इन सब से पहले परमेश्वर होता है। अर्थात समस्त पदार्थ प्रलय अवस्था में नहीं होते और रचना के बाद अस्तित्व में आते हैं। जगत के स्वरुप को छीनने वाला परमेश्वर है। परमेश्वर प्रलय लाता है। प्रलय में कुछ नहीं रहता और संसार फिर से प्रकृति के रूप में आ जाता है। प्रकृति उपादान कारण है और परमेश्वर निमित्त उपादान कारण है। प्रकृति रूपी कारण से परमेश्वर संसार रूपी कार्य का निर्माण करता है। परमात्मा और प्रकृति दोनों मिलकर संसार की रचना करते हैं।
जो जीव मनुष्य के कर्तव्य कर्म को जानता है, देवत्व को जानता है, वह यज्ञ करता है और देव बन जाता है, असुर नहीं बनता।