स्वामी राम स्वरूप जी, योगाचार्य
अथर्ववेद में कहा गया है, ‘स्त्री हि ब्रह्मा बभूविथ’ अर्थात ब्रह्मा सृष्टिकर्ता है और ब्रह्मा का पद स्त्री के लिए है। जैसे विदुषी माता के अभाव में संतान का सुचारू रूप से पालन-पोषण असंभव है, उसी प्रकार विशुद्ध राजनीति के अभाव में देश के राजा द्वारा प्रजा का पालन-पोषण सुचारू रूप में होना असंभव है।

वस्तुतः आज विरले मनुष्य को ही यह कटु सत्य समझ में आएगा कि यह विश्व ईश्वर ने रचा है और इसका सुचारू रूप से पालन-पोषण करने के लिए ईश्वर ने विशुद्ध राजनीति वेदों में कही है और कहा कि प्रजा उसी को राजा चुने जो चारों वेदों का ज्ञाता है। वही राजा वेदों से ग्रहण ही हुई विशुद्ध राजनीति से प्रजा का पुत्रवत पालन करेगा, अन्य नहीं।

भारतीय संस्कृति यह दर्शाती है कि वेद के ज्ञाता, दशरथ, श्रीराम, श्रीकृष्ण, हरिश्चचंद आदि अनेक राजाओं ने न केवल भारतवर्ष का अपितु संपूर्ण पृथ्वी का अपनी संतानों की तरह सुचारू रूप से पालन-पोषण किया था। आज पृथ्वी पर वैदिक राजनीति का ज्ञान न होने की विकट समस्या है, जो प्रत्येक देश में स्थायी रूप से दृष्टिगोचर हो रही है। इसी समस्या के कारण प्रत्येक देश में अशांति एवं अन्य समस्याओं के अतिरिक्त आतंकवाद रूपी भयंकर समस्या ने सुरसा की भांति अपना मुंह खोल लिया है, जिसमें नित्य बेकसूर बच्चे-बूढ़े, जवान नर-नारी, उसका ग्रास बनते जा रहे हैं।

याद रहे कि जब तक हमारी वैदिक संस्कृति का पतन नहीं हुआ था, तब हिंसा तो क्या, कोई भी अन्य समस्या अर्थात किसी पर अन्याय आदि होने का समाचार तक कहीं से भी प्राप्त नहीं होता था। सभी नर-नारी सब प्रकार से संतुष्ट एवं सुखी थे।

बस कारण एक ही था कि राजा एवं प्रजा ईश्वर के बनाए वेद की आज्ञा में चलते थे और ईश्वर की प्रत्येक आज्ञा सब प्राणियों के कल्याण के लिए होती है। जैसे यजुर्वेद मंत्र 10/22 में कहा-राजा एवं राज पुरुष तथा प्रजा आलस्य, प्रमाद, वेद तथा ईश्वर की निंदा रूपी नास्तिकपन में कभी न रहे। राजा पक्षपात रहित हो और वेदों का ज्ञाता हो।

जो परमेश्वर की आज्ञाओं को भूल जाता है, वह सब प्रकार की परेशानियों और रोग-भोग आदि में फंसकर अपना जीवन नष्ट कर लेता है। इसी आधार पर वर्तमान के उग्रवाद ने जन्म लेकर पूरी पृथ्वी पर हाहाकार मचा दिया है और पाकिस्तान भी इसका अपवाद नहीं है। अब यह पूरे विश्व को ज्ञात हो गया कि पाकिस्तान खुले तौर पर आतंकवादियों को अपने देश में पनाह देता है। नहीं तो हाफिज सईद और सलाऊदीन, जिनके खिलाफ भारतवर्ष में आतंकी घटनाएं फैलाने के पुख्ता सबूत हैं, पाकिस्तान की सड़कों पर ऐसे खुले नहीं घूम सकते या भारतवर्ष के खिलाफ रैलियों में जहर नहीं उगल सकते।

इस पर भी यदि पाकिस्तान यह कहे कि पाकिस्तान भी आतंकवादी गतिविधियों का शिकार है तो अथर्ववेद मंत्र 4/18/2 का भाव है कि प्रभु की सब शक्तियां ऐसी स्थिति उत्पन्न कर देती हैं, जो छल कपटपूर्वक दूसरों का हिंसन करने का प्रयत्न करता है, वह अंत में उस हिंसा का स्वयं ही शिकार हो जाता है। यदि पाकिस्तान जो आतंकवाद का जन्मदाता है, उस पर आतंकी ही जुल्म ढहा रहे हैं, तो यह उसका अपना ही तो कसूर है। दुर्भाग्य है कि आज प्राणी वेद-विद्या न जानने के कारण ईश्वर के इस नियम को नहीं जानते और अज्ञानतावश दूसरे देशों के प्रति उग्रवाद आदि फैलाकर स्वयं उस उग्रवाद का शिकार बन जाते हैं।

आतंकी अपनी सिथति को मजबूत करने की खातिर वहां की जनता द्वारा चुनी हुई सरकार को भी कमजोर बना देते हैं। इसका प्रत्यक्ष उदाहरण यह है कि पाकिस्तान सरकार ने आतंकवादियों के डर से मीडिया को भारतवर्ष के गृह मंत्री राजनाथ सिंह के भाषण की कवरेज नहीं करने दी। उनके भाषण को ब्लैकआऊट किया गया। सार्क सम्मेलन में भाग लेने के लिए गए भारतवर्ष के गृह मंत्री राजनाथ सिंह का गर्मजोशी से कोई स्वागत नहीं किया गया। गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने भारतवर्ष का जो मुद्दा आतंकवाद के खिलाफ रखना था, वह बहुत अच्छी प्रकार से रखा, परंतु राजनाथ सिंह की प्रेस वालों से मीटिंग नहीं करने दी गई। राजनाथ सिंह का भाषण पाकिस्तान टीवी पर नहीं दिखाया गया। इस प्रकार हमारे देश की खिल्ली उड़ाने का प्रयत्न किया गया, फिर भी हम पाकिस्तान को धन्यवाद देते हैं कि उन्होंने अपनी जमीन पर हमारे वरिष्ठ नेता राजनाथ सिंह को, चाहे मजबूरी में ही सही, समय देकर हमारे नेता से उग्रवाद के विषय में खरी-खरी बातें सुन तो लीं।

पाकिस्तान का यह बर्ताव स्वयं सिद्ध करता है कि उग्रवादियों को खुश करने के लिए ही पाकिस्तान ने ऐसा घिनौना कार्य किया, जो विश्व की किसी भूमि पर देखने-सुनने को नहीं मिलता। आतंकवाद के डर से पाकिस्तान में कोई भी अपने खुले विचार प्रकट नहीं कर सकता और पाकिस्तान सरकार भी अब आतंकवादियों की ही बोली बोलती है।

नवाज शरीफ का यह कहना कितना हास्यास्पद है कि कश्मीर कभी पाकिस्तान की भूमि का हिस्सा बनेगा। यह बात संपूर्ण विश्व एवं पाकिस्तान को भी मालूम है कि नवाज शरीफ का यह कहना मात्र एक मिथ्या स्वप्न ही है, परंतु अपनी कुर्सी बचाए रखने के लिए नवाज शरीफ उग्रवादियों को खुश करने के लिए ऐसी बोली बोलते ही रहते हैं। आतंकवाद मिटाने में पाकिस्तान मददगार है, ऐसा कहकर नवाज शरीफ ने झूठ बोला है और दुनिया को धोखा दिया है। वस्तुतः आतंकवादियों का गुणगान न करें, तो नवाज शरीफ ही क्या, कोई भी सरकार वहां स्थिर नहीं रह सकती।

फिर भी यहां एक विचार यह अवश्य करना होगा कि पाकिस्तान भारत से आमने-सामने के युद्ध करने के विषय में सोच भी नहीं सकता। इसलिए वह हमेशा से छापामार युद्ध आतंकवाद का सहारा ले रहा है, क्योंकि शुरुआत उसने की है, इसलिए वेदानुसार यदि भारतवर्ष भी उसे छापामार युद्ध का जवाब छापामार युद्ध से दे, तो विजय भारतवर्ष की ही होगी और इससे पाकिस्तान कभी छापामार युद्ध अथवा आतंकवादी लड़ाई करने की सोच भी नहीं सकेगा।

Originally published in Divya Himachal, August 09, 2016